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Tuesday, September 30, 2014

My Analytical View Article on Prime Minister Narendra Modi Speech in Madison Square Garden,New York


जो 60 बरसों में नहीं हुआ वह 60 मिनट में हो गया
                                                   
              
प्रदीप सरदाना
एक सौ इक्कीस साल पहले के वे भी सितम्बर के दिन थे जब भारत के एक महान पुरुष नरेंद्र दत्त यानी प्रख्यात योगी,संन्यासी और स्वामी विवेकानंद ने अमेरिका में अपने  व्यक्तित्व और अपने भाषणों से पूरे विश्व को  मोहित कर दिया था.पूरी दुनिया ने तब पहली बार जाना था कि भारत, भारत के लोग,भारत की संस्कृति और भारत की शक्ति क्या है. अब बरसों बाद भारत के एक और नरेंद्र ने उसी अमेरिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूप में जाकर फिर से अपने व्यक्तित्व और भाषणों से पूरे विश्व को मोहित कर दिया. दुनिया ने आज फिर जाना स्वामी विवेकानंद का भारत आज कितना अहम् और शक्तिशाली हो गया है.हाल के बरसों में शायद ही किसी लाइव टेलीकास्ट को इतनी टीआरपी मिली हो या किसी विश्व के नेता के संबोधन को सुनने में इतना उत्साह दिखा हो जितना हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सुनने और देखने के लिए लिए था.मुझे नहीं लगता दुनिया का कोई भी ऐसा राष्ट्राध्यक्ष होगा जिसने मोदी का यह भाषण न सुना हो. खुद बराक ओबामा भी पूरे एक  घंटे तक मोदी के भाषण को टक टकी लगाये देखते और समझते रहे होंगे !

 न्यू यॉर्क के मैडिसन स्क्वेर गार्डन में प्रधानमंत्री मोदी की एक झलक देखने और उनको सुनने के लिए लोगों की जो दीवानगी थी वैसी दीवानगी  इससे पहले न किसी भारतीय नेता या विश्व के नेता के प्रति दिखी और न ही उसी अमेरिका के किसी प्रेसिडेंट ओबामा,बुश,क्लिंटन,रिगन,कार्टर या निक्सन के प्रति दिखी कि जिसके हर 20 शब्दों के बाद वहां बैठे 20 हजार लोग तालियाँ बजाकर स्क्वेर गार्डन को रॉक गार्डन में बदल देते थे.न ही इससे पहले किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने इतना साहस दिखाया कि अमेरिका की धरती पर जाकर उनके सामने दिल खोलकर  भारत की गौरव गाथा इस तरह सुनाये और ललकारते हुए कहे कि-‘‘ आज भारत जैसा कोई नहीं.अमेरिका में बेशक पूरी दुनिया के लोग बसे हैं लेकिन भारतीय लोग पूरी दुनिया में बसे हैं.अमेरिका सबसे पुराना लोकतान्त्रिक देश है लेकिन सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश भारत है. यह इक्कीसवीं सदी किसी और देश की नहीं भारत की है.यह भारत ही है जो आज विश्व का नेतृत्व करने क्षमता रखता है‘‘.मोदी ने अमेरिका की जमीन पर वहां रुके विश्व के लगभग सभी शिखर नेताओं की मौजूदगी में अपनी बात सीना तानकर कहकर यह साबित कर दिया कि उनका सीना सच में 56इंच का है.

अब तक भारत को ही नहीं दुनिया के कई देशों को अमेरिका का पिट्ठू और उसके इशारे पर चलने वाला कहा जाता था.नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पूर्व अमेरिका में भारत की ऐसे स्थिति हो गयी थी कि वहां हमारे राजदूत तक वह सम्मान नहीं ले पा् रहे थे जिसके वे हकदार हैं और भारत में अमेरिका के दूतावास के छोटे से छोटे कर्मचारी भी यहाँ उस शान ओ शौकत से रहते रहे हैं जो उन्हें अपने देश अमेरिका में भी नसीब नहीं. हमारे पूर्व राष्ट्रपति कलाम से लेकर हमारे मंत्री जॉर्ज फर्नाडिस और अभिनेता शाहरुख खान तक ऐसे कई मिसाल हैं जब अमेरिकी एयर पोर्ट पर सुरक्षा के नाम पर उनको निर्वस्त्र तक कर दिया गया.जबकि हमारे यहाँ अमेरिकी राष्ट्रपति के भारत आगमन पर अमेरिकी सुरक्षा दस्ते का एक कुत्ता हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की समाधि राजघाट के चारों ओर खुलेआम फेरे लेता रहा लेकिन कोई उसे रोकने का साहस नहीं कर सका.जबकि समाधि में जानवरों के प्रवेश के प्रतिबन्ध के निर्देश वहां स्पष्ट हैं. अमेरिका से भारत की दहशत की कितनी ही मिसाल देखने,सुनने और पढने को मिलती रहीं हैं.यही कारण था कि जब कभी कोई भारतीय प्रधानमंत्री अमेरिका गए तो उन्हें नोटिस तक नहीं किया गया.कांग्रेस सरकार और हमारे देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरु ने शुरू में अमेरिका जा और  वहां कुछ दिन रहकर वहां बसे भारतीयों से कुछ संवाद बनाने की कोशिश जरुर की थी लेकिन उससे भी कोई खास बात बनी नहीं थी.क्योंकि नेहरु से लेकर मनमोहन सिंह तक कांग्रेस के  विभिन्न प्रधानमंत्री  अपने ’ाासन काल के 60 साल में भारत की शक्ति को बताने में असमर्थ रहे जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने सिर्फ 60 मिनट में भारत की शक्ति को सिर्फ बताया ही नहीं दिखा भी दिया और वह भी सिर्फ अमेरिका को नहीं समस्त विश्व को.

क्या यह आश्चर्य नहीं कि अमेरिका में संयुक्त राष्ट्र के जिस सम्मलेन में भाग लेने के लिए मोदी खासतौर से गए थे उसी सम्मलेन में भाग लेने के लिए विश्व के करीब 190 देश आये हुए थे.लेकिन वहां जो सम्मान,जो लोकप्रियता जो वि’वास  प्रधानमंत्री मोदी के प्रति दिखा वैसा सब  किसी और राष्ट्राध्यक्ष के प्रति क्यों नहीं दिखा.जबकि अमेरिका में सभी देशों के लोग बसते हैं लेकिन उन्होंने या अमेरिकियों ने उनको वह सम्मान क्यों नहीं दिया जो मोदी को सिर्फ भारतीयों ने नहीं  अमेरिकियों और अन्य कई देशों के लोगों ने भी दिया ! उस स्वागत समारोह में अमेरिकी मूल के करीब 50 जन प्रतिनिधि -सीनेटर का भी मौजूद होना भी यह दर्शाता है कि भारत के प्रति अमेरिका का नजरिया यकायक कैसे बदल गया है. यहाँ तक वहां बसे अनेक मुस्लिम भी मोदी की बात बात पर जमकर ताली बजाते और उनकी तारीफ करते पाए गए. मोदी को सुनने दूर दराज से आये लोगों का उत्साह, सजावट और खुशियाँ देखते हुए लगता था कि अमेरिका ने भारत से 25 दिन पहले ही दीवाली मना ली.

नरेंद्र मोदी के भाषण का हर अंश इतना दमदार और दिलचस्प था कि सीधे और सहज अंदाज में मोदी जो भी कहते रहे वह दिल में उतरता चला गया.मोदी की हर बात से वहां बैठे लोगों के ही नहीं टीवी पर देखने वाले हर देश भक्त भारतीय के तार जुड़ते चले गए.उनकी बातों में कहीं बनावट,दिखावा या अहंकार नहीं था.वरना इतना जनसमूह इतना बड़ा स्वागत सत्कार देख कोई भी पल भर के लिए अहं में आ सकता है.उनकी बातों में आत्मीयता इसलिए भी थी उनकी हर बात में गहराई थी,.उनका विजन ,नीति, योजना और दूर दृष्टि स्पष्ट झलक रही थी.बड़ी बात यह थी कि अपना सारा भाषण उन्होंने बिना पढ़े दिया.क्या हमारे मनमोहन सिंह,सोनिया गांधी या मायावती जैसे नेता को कभी  10 लाइन के भाषण  को भी बिना पढ़े दे सकते  हैं ? 

मोदी ने अपने एक घंटे में क्या नहीं कहा.भारत के लोकतंत्र,अपनी बहुमत की विशाल जीत, नवरात्र की शक्ति,अपने उपवास, सांप सपेरे के देश से माउस से खेलने वाले आधुनिक भारत की युवा शक्ति के साथ अपनी विभिन्न योजनाओं तक की मुश्किल और बोझिल बातों को सरलता और सहजता से कह दिया. वह महात्मा गांधी पर भी बोले और भगत सिंह पर भी.सिख गुरुओं के शौर्य और बलिदान का भी उन्होंने उल्लेख किया. भारत के महत्त्व और शक्ति के आकलन में उन्होंने देश की जनसंख्या में 65 प्रतिशत युवाओं के होने से लेकर यहाँ डेमोक्रेसी,डिमांड और डेमोग्राफिक्स डिविडेंड की बात भी की. अपने इस आरंभिक कार्यकाल की कई सफलताओं और नीतियों को बताने में भी वह नहीं चूके. अपनी जनधन योजना की सफलता मेक इन इंडिया,2019 तक गंदगी मुक्त भारत, गंगा आस्था,गंगा सफाई से लेकर मंगल की 65 करोड़ किमी की यात्रा अॉटो रिक्शा के 10 रूपये किमी के खर्च से भी कम  7 रूपये किमी में करके हम  दुनिया के तमाम  देशों से आगे निकल गए हैं तक उन्होंने इतना कुछ कहा कि भारत का गौरव हर जगह साफ दिखा. अहमदाबाद में जनवरी 2015 में  प्रवासी भारतीय सम्मलेन  के 100 साल होने वाले आयोजन से से लेकर देश की 2022 में होने वाली आजादी की 75 वीं वर्षगाँठ तक की योजनाओं को विस्तार से बताकर मोदी ने सिद्ध कर  दिया कि सच में प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने 15 मिनट का अवकाश नहीं लिया.

मोदी ने बदलते भारत की उज्ज्वल तस्वीर दुनिया को दिखाते हुए अपने देश लौटने का आह्वाहन भी किया और देश की नमामि गंगा जैसी योजनाओं के लिए मदद करने की अपील भी की.लेकिन ऐसा नहीं कि उन्हें सिर्फ सब्जबाग दिखाए और उनसे मदद ही ली.मोदी ने जहाँ हजारों मील दूर  बसे भारतीयों को देश की आन बान  और शान बढ़ाने के लिए धन्यवाद दिया वहां उनकी समस्याओं को भी हल करके आजीवन वीजा,लम्बी अवधि का सरल पर्यटन वीजा और पर्सन अॉफ इंडिया ओरिजंस तथा ओवरसीज सिटीजन अॉफ इंडिया को जल्द एक करने जैसे ऐसे कई उपहार दिए जिनकी उम्मीद फिलहाल शायद किसी को नहीं थी.इस सबसे बड़ी बात यह भी कि उन्होंने कहा कि हम अपने कार्यकाल में कोई भी ऐसा काम नहीं करेंगे जिससे आप लोगों को नीचना देखना पड़े और हमने जो वायदे किये हैं उनमें शत प्रतिशत खरे उतरेंगे.इतनी खरी बात कहकर मोदी ने आज दुनिया को अपना और भारत का लोहा माने के लिए विवश कर दिया है.ठीक कुछ वैसे ही  या उससे भी कुछ अधिक जैसे बरसों पहले  स्वामी विवेकानंद ने किया था. 
प्रदीप सरदाना

  

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