प्रदीप सरदाना
आज का दिन हम सभी भारत वासियों के लिए सही मायने में जश्न मनाने का है.भारत ने आज मंगल पर अपनी पहुँच बनाकर इसे एक ऐसा ऐतिहासिक दिन बना दिया है जो अंतरिक्ष विज्ञान के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा.अपनी इस सफलता से हमारा भारत विश्व का ऐसा पहला देश बन गया है जो अपने पहले प्रयास में ही मंगल की कक्षा में पहुँचने में सफल रहा.वह भी सिर्फ 450 करोड़ रूपये की लागत के दुनिया के अब तक के सबसे सस्ते मंगल अभियान के माध्यम से.जबकि नासा के मंगल अभियान इससे 6 गुना ज्यादा खर्चीले थे.पृथ्वी से मंगल की दूरी करीब 22 करोड़ 50 लाख किलो मीटर है.सूर्य से चौथे गृह मंगल का इतना लम्बा सफ़र कितना मुश्किल हो सकता है इसकी कल्पना भी सहज नहीं.लेकिन हमारे इसरो के वैज्ञानिकों की टीम के 200 सदस्यों ने इस लाल गृह पर भारतीय पताका फहराकर दुनिया को दिखा दिया कि भारत आज किस शिखर तक पहुँचने की क्षमता रखता है.अपनी ताकत पर इतराने वाले चीन को तो इससे और भी ज्यादा सबक लेने की जरुरत है.गत 5 नवम्बर दोपहर को जब यह 1350 किलो का मंगल यान श्री हरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से पी एस एल वी (पोलर सेटेलाइट लांच वीकल ) -सी 25 की सहायता से छोड़ा गया तो हमारे वैज्ञानिकों का अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट पर भरोसा साफ़ झलक रहा था.लेकिन कुछ देश हमारे इस अभियान पर आशंकित भी थे.हालांकि अपने पिछले लगभग 10 महीने के सफ़र में जिस तरह मंगल यान बिना किसी अवरोध के नित आगे बढ़ता रहा उससे इसकी सफलता और निश्चित होती जा रही थी.फिर भी अंतिम परीक्षा की घडी 24 सितम्बर यानि आज सुबह थी जो मंगलमय रही.आशा है और कामना भी हमारा यह 'मार्स ओबिटर मिशन' मंगल गृह के रहस्य और वहां जीवन,जल और खनिज तत्वों आदि के होने की संभावनाओं को तलाशने जैसे कार्यों में सफल हो.इससे ऐसे तथ्यों से पर्दा हट सके और ऐसी खोज हो सकें जो अभी तक अमेरिका और रूस आदि भी नहीं कर सके हैं.जय मंगल,जय भारत .
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