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Wednesday, November 9, 2016

प्रधानमंत्री मोदी का साहसिक,सराहनीय और ऐतिहासिक कदम



आज एक बार फिर देश के प्रधानमंत्री नरेंद मोदी पर गर्व है. देश में कालाधन, भ्रष्टाचार ,आतंकवाद की फंडिंग और सीमापार से देश की अर्थव्यवस्था को खोखला करने के नापाक इरादों पर उन्होंने एक ही झटके में ऐसा कुठारघात किया है जिसकी कुछ देर पहले तक भी किसी को कानों कान खबर नहीं थी. बड़ी बड़ी अटकलों के कयास लगाने वाले बड़े बड़े चैनल्स भी यह कयास नहीं लगाए पाए कि प्रधानमंत्री आज अचानक अपने राष्ट्र के नाम संबोधन में क्या कहेंगे.पांच सौ और एक हज़ार के नोट को मात्र 4 घंटे के नोटिस में बंद करने की घोषणा किसी बड़ी सुनामी या बड़े भूकंप जैसी थी. इससे पूरे देश की धरती के लोग तो हिले ही साथ ही कालाबाजारी और भ्रष्टाचार में लिप्त वे धन्ना सेठ तो धढ़ाम से नीचे आ गिरे जो इन नोटों के गद्दों और पलंगों पर कब से चैन और मज़े की नींद सो रहे थे. ऐसे लोगों के करोड़ो के नोटों की बोरियां, अलमारियां और गोदाम पलक झपकते ही कोड़ियों के हो गए हैं. कहते हैं कि मोदी जी इन दो बड़े नोटों को बंद करने की योजना पर पिछले 10 महीने से काम कर रहे थे.लेकिन उसके बाद भी उन्होंने न तो रिज़र्व बैंक और न ही अपने मंत्रिमंडल तक को यह भनक लगने दी कि वह आज अचानक इस बात की घोषणा कर देंगे. यह बात इस योजना की सबसे बड़ी सफलता है.जो यह दर्शाती है कि प्रधानमंत्री काला धन और भ्रष्टाचार को समाप्त करने के मामले में सच में कितने गंभीर और चिंतित हैं. साथ ही प्रधानमंत्री ने इन दो नोटों के बंद के बाद आने वाली संभावित समस्याओं से निबटने के लिए जिस कुशलता और सूझबुझ से पूरा खाका तैयार कर यथा संभव हल निकाला है, वह भी बेहद प्रशंसनीय है. इन पुराने नोट को बंद कर नए नोटों के विकल्प भी एक दिन के बाद ही आ जाना और पुराने नोटों को अधिक मुश्किल मौंकों पर सरकारी अस्पताल, यातायात, मदर डेरी और केन्द्रीय भंडारों आदि पर कुछ और समय तक चलने की व्यवस्था भी सराहनीय है और इन नोटों को बदलने या जमा करने के लिए 50 दिन का लम्बा समय देना भी अच्छा कदम है. इतना साहसिक और बेहतरीन कदम देश की मजबूत अर्थव्यवस्था के लिए एक ऐतिहासिक कदम है, ठीक ऐसे ही जैसे उनका इस मौके पर दिया भाषण जो इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज होकर बरसों बरसों तक याद किया जाएगा. हालांकि विपक्ष के कुछ लोग आदतन और मज़बूरी में नरेंद्र मोदी के इस कदम में भी कई खामियां निकालने का प्रयास करेंगे.आखिर 'खिसियानी बिल्ली खम्बा नोचने' के अलावा और क्या कर सकती है. इतिहास गवाह है अच्छे काम करने वालों की आलोचनाएँ होती हे रहती हैं. पर कोई कुछ भी कहे मेरा तो अपने देश के प्रधानमंत्री को बारं बार प्रणाम.

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