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Thursday, September 17, 2015

My Tribute Article Re.Dr APJ Abdul Kalam 'Kamaal Ki Sadgi thi Kalaam Mein' in Punarvas

                                                          ॐ

कमाल की सादगी थी कलाम में

कलाम की सादगी के साथ उनका सेंस ऑफ ह्यूमर भी गजब का था


प्रदीप सरदाना


इसे संयोग कहें या कुछ और कि पिछले सप्ताह ही झारखंड की शिक्षा मंत्री नीरा यादव ने अपनी अज्ञानतावश पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के जीवित रहते हुए उनके चित्र पर माला पहना और तिलक लगाकर उन्हें अपनी श्रद्दांजली दे दी थी और अब सच में उनका निधन हो गया. उनके चित्र पर माला देख जितना दुःख तब हुआ था उससे कहीं ज्यादा दुःख अब पूरे राष्ट्र को हुआ है.
कलाम सही मायने में आधुनिक भारत के सच्चे और वास्तविक धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति थे. राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के बाद वह देश के ऐसे दूसरे राष्ट्रपति थे जिन्होंने इस सर्वोच्च पद पर रहते हुए अपने देश के लोगों से मिलनेउनसे बात करने और अपनी दिल की बात कहने में प्रोटोकॉल की भी परवाह नहीं की.राष्ट्रपति जैसे शिखर के पद पर आसीन होने के बाद भी उनमें अहंकार रत्ती भर नहीं था और वही सादगी और मुस्कान उनके चेहरे पर रहती थी जो उनकी बरसों से पहचान बन चुकी थी. मुझे याद है दिल्ली में एक टीवी चैनल के समारोह में कलाम मुख्य अतिथि थे.वह अपनी बात कह और सभी औपचारिकता पूरा करके समारोह से विदा ले रहे थे कि तभी मंच से किसी वक्ता ने कुछ कहना शुरू किया तो वह सभागार से जाते जाते रुक गए और उस वक्ता की बात सुनने के लिए वह मंच के कोने में फर्श पर ही बैठ गए.यह देख मंच पर कुर्सियों पर आसीन व्यक्ति ही नहीं सभागार में बैठे व्यक्ति भी अवाक रह गए.और ज्यादातर व्यक्ति अपनी कुर्सियों से उठने लगे लेकिन कलाम साहब ने स्थिति को सँभालते हुए सभी को प्लीज् प्लीज् कह अपनी जगह बैठने को कहा.कलाम ने उस वक्ता की बात सुन फिर वहीँ मंच के धरातल पर बैठे बैठे अपनी बात कही और फिर वहां से चले गए.लेकिन एपीजे अब्दुल कलाम की यह कमाल की सादगी सभी के दिल को छू गयी.
कलाम साहब में सेंस ऑफ ह्यूमर भी गजब का था, एक राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के दौरान कलाम साहब नयी दिल्ली के विज्ञान भवन में पुरस्कार वितरण कर रहे थे.उस समारोह में मशहूर पाश्र्व गायक सोनू निगम को भी पुरस्कार मिलना था.उस दौरान सोनू निगम के भी लम्बे लम्बे कुछ ऐसे ही बाल थे जैसे बाल कलाम के थे.जब सोनू पुरस्कार लेने मंच पर पहुंचे तो सोनू के बाल अपने जैसे देख वह अपने बालों की ओर इशारा करते हुए सोनू से बोले -अरे वाह...बहुत खूब तुम्हारे बाल भी मेरे जैसे हैं. यह सुन पूरा विज्ञान भवन ठहाकों से गूंज उठा.
पूर्व राष्ट्रपति कलाम राष्ट्रपति बनने से पहले एक महान वैज्ञानिक थे और अंतरिक्ष विज्ञान में उन्होंने जो योगदान देकर अपना सम्पूर्ण जीवन देश को समर्पित कर दिया वह किसी से छुपा नहीं है.उनके अंतरिक्ष प्रेम के कारण उनका प्रिय रंग नीला ही था.इसलिए वह नीले रंग की कमीज अक्सर पहनते थे.राष्ट्रपति बनने के बाद उन्हें अक्सर फॉर्मल ड्रेस कोड में रहना पड़ता था लेकिन तब भी वह कभी कभी ड्रेस कॉड को एक और रख सिर्फ नीली कमीज और ग्रे पेंट पहन किसी समारोह में भी चले जाते थे. कलाम जी की एक और बात जो सभी का ध्यान खींचती थी वह यह थी कि मुस्लिम होते हुए भी वह शाकाहारी थे और कुरान के साथ वह गीता भी बराबर पढ़ते थे

एपीजे कलाम को संगीत और पुस्तकों से तो बेहद प्रेम था ही उनकी अपनी लिखी अधिकांश पुस्तकें बेस्ट सैलर्स रहीं.पिछले लगभग 10 बरसों में जितने भी पुस्तक मेले आयोजित हुए उनकी पुस्तकें वहां झट से बिक जाती थीं. वह संगीत के भी अच्छे ज्ञाता थे और सितार आदि बजाना उनका पुराना शौक था.लेकिन वह अन्य संगीतज्ञों और लेखकों को बेमिसाल सम्मान देते थे.उसका एक सशक्त उदाहरण फरवरी 2007 में तब मिलता है जब राष्ट्रपति रहते हुए उन्होंने जाने माने लेखक और पत्रकार खुशवंत सिंह से मिलने के लिए उनके यहाँ फोन करके यह पुछवाया कि आप किस दिन फ्री हैं राष्ट्रपति कलाम आपसे मिलने आना चाहते हैं.खुशवंत सिंह ने जब यह सुना तो उन्हें लगा कोई उनकी खिंचाई कर रहा है भला राष्ट्रपति मुझ जैसे लेखक से मिलने का समय क्यों मांगेंगे.खुशवंत सिंह ने खीझते हुए कहा मैं फ्री ही फ्री हूँ.जब दो दिन बाद खुशवंत सिंह ने अपने घर के आसपास पुलिस की आवाजाही देखी तो वह हैरान रह गए कुछ ही पलों बाद देश के राष्ट्रपति उनके दरवाजे पर हाथ जोड़े मुस्कराते खड़े थे. हक्के बक्के खुशवंत सिंह की जिंदगी में इससे बड़ा सम्मान भला और क्या हो सकता था.कलाम खुशवंत सिंह के यहाँ करीब आधे घंटा रहे.उनसे उनकी सेहत के साथ उनकी किताबों के बारे में उनसे चर्चा की अपनी पुस्तकें उन्हें दीं और फिर उसी सादगी और विनम्रता से उनके घर से चले गए.अपने देश क्या किसी छोटे से बड़े राष्ट्र में ऐसी मिसाल शायद कहीं नहीं मिलेगी कि कोई राष्ट्रपति प्रोटोकोल को दरकिनार कर खुद एक लेखक से मिलने उनकी सुविधा से उनके घर पहुंच गए हों. पर कलाम ऐसे हे थे.कलाम आपको बारंबार सलाम.                    

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